बुधवार, 20 जून 2018

खाता न बही,स्कूल संचालक जो करें वही सही,हवा में है सारी बही,अब जांच होगी सही

खाता न बही,स्कूल संचालक जो करें वही सही,हवा में है सारी बही,अब जांच होगी सही


सुलतानपुर - 
खाता न बही,स्कूल संचालक जो करें वही सही यह कहावत चरितार्थ साबित हो रही हैं मामला सुल्तानपुर जनपद का है जहाँ जांच कमेटी को जांच में यह मिला कि तीनों विद्यालय जमीन पर हैं ही नहीं. न कोई स्कूल, न कोई स्कूली भवन, न कोई छात्र और न कोई टीचर ,फिर भी वर्षों से कागजों पर संचालित हो रहा है मान्यता प्राप्त विद्यालय। वह भी एक नहीं, दो नहीं बल्कि तीन तीन स्कूलों को बिना देखे हवा में मान्यता दे दी गई थी। इतना ही नहीं है कि बिना हकीकत के मान्यता प्राप्त स्कूल संचालित हो रहे हैं बल्कि इन काल्पनिक स्कूलों के संचालक द्वारा काल्पनिक मान्यता प्राप्त स्कूलों के नाम पर किया गया आर्थिक घोटाला सामने आया है। इस बार के घोटाले में कोई फीस घोटाला या फिर छात्रवृत्ति घोटाला नहीं हुआ है, बल्कि इस बार सांसद निधि और विधायक निधि के पैसों में हुआ है, वह भी स्कूल को फंड देने के नाम पर।  

 *शिकायत के बाद हुआ खुलासा* 

इस घोटाले का खुलासा तब हुआ जब कोठरा कला गांव निवासी शत्रुघ्न सिंह ने शासन में शिकायत की। शासन के आदेश पर बेसिक शिक्षा अधिकारी कौस्तुभ कुमार सिंह ने दो सदस्यीय कमेटी बनाकर जांच कराई। जांच कमेटी को जांच में यह मिला कि तीनों विद्यालय जमीन पर हैं ही नहीं। ऑन रिकॉर्ड जिस भूखंड पर स्कूलों का होना बताया गया था, दरअसल वह भूखण्ड कथित स्कूल प्रबन्धक सन्तोष सिंह की भूमिधरी जमीन है और वहां किसी प्रकार का न तो कोई स्कूल है और न ही कोई भवन निर्माण ही हुआ है। जांच कमेटी की रिपोर्ट मिलते ही बीएसए के हाथ पांव फूल गये। अब बीएसए ने मान्यता निरस्त करने की कार्यवाही शुरू करने की रिपोर्ट डीएम को भेजी है। 

  *स्कूल के नाम पर लाखों रुपए हड़पे*

 लम्भुआ तहसील के कोठराकलां गांव निवासी संतोष सिंह ने तीन फर्जी विद्यालयों लालजी प्राथमिक शिक्षण संस्थान , लालजी उच्च प्राथमिक शिक्षण संस्थान तथा रामरती सिंह बालिका उच्च प्राथमिक शिक्षण संस्थान की अफसरों को झांसे में डालकर मान्यता ले ली। आश्चर्य जनक यह है कि प्रशासन की आंखों में धूल झोंककर बिना किसी स्कूल के ही बीस वर्षों से विद्यालयों का संचालन दिखा रहे हैं। प्रशासन ही नहीं वे जिले के माननीयों को भी भरम डालकर उनकी निधि से अच्छी खासी रकम हड़प लिए हैं।

   *वर्ष 1999 से खेल रहे थे यह खेल* 

सबसे पहले सन्तोष सिंह ने वर्ष 1999 में सांसद जयभद्र सिंह को अपना शिकार बनाया।उन्होंने सांसद जयभद्र सिंह की निधि से दो बार 5 लाख रुपए और एक लाख 35 हजार रुपए स्कूल में कमरा बनाने के नाम पर ली। विधान परिषद सदस्य शैलेन्द्र प्रताप सिंह की निधि से 1 लाख 35 हजार रुपए ,लम्भुआ विधायक रहे पूर्व मंत्री विनोद सिंह की निधि से 25 लाख रुपए स्कूल में निर्माण व विकास के लिए हासिल किये। संक्षेप में कहें तो सन्तोष सिंह ने कुल 32 लाख 70 हजार रुपए हड़पे लिए हैं।

*जिलाधिकारी ने शुरू की कार्रवाई* जिलाधिकारी विवेक ने मुख्य विकास अधिकारी राधेश्याम को (रिकबरी ) रकम वसूली की कार्यवाही करने का आदेश दिया है।

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