*सुलतानपुर-निलंबित तो है प्रबंधन तंत्र का बहाना, कुछ चीजों को हैं छुपाना-गनपत सहाय?
सुलतानपुर
स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के जिला सचिव राजीव तिवारी ने प्रयोगात्मक परीक्षा के साथ 23 फरवरी से मुख्य परीक्षा शुरू होने वाली हैं अगर प्रवेश पत्र नही मिला तो संगठन छात्र हित के लिए आर पार की लड़ाई लड़ेगा।
(फाइल फोटो शेयर हिंदुस्तान अखबार)
*इस जांच में की गई महज खानापूर्ति सबसे बड़ा सवाल की महज चपरासी पद पर रह कर इसको किसको शह पर किया इतना बड़ा खेल इस खेल में और भी हो रहे है नंघे
*कहि इसी वजह से तो नही प्रबंधन तंत्र ने कार्यवाही का दिखावा करते हुई निलंबन की कार्यवाही तो नही की जिससे जांच बंद हो जाय
बताते चलें कि मामला सुल्तानपर जनपद के पुराने व चर्चित पीजी कॉलेज गनपत सहाय पीजी कॉलेज का जहाँ के 167 छात्र छात्राओं को फीस की फर्जी रसीद देने का मामला जब मीडिया की सुर्खियों में आया तो आनन फानन में प्रबन्धक तंत्र ने आरोपी के खिलाफ निलंबन की कार्यवाही कर इतिश्री करने की कोशिश की जबकि प्रबंध तंत्र को 31 जनवरी को यह मालूम हो गया था कि 167 छात्र-छात्राओं को फर्जी रसीद किसने दिया है फर्जी रसीद देने वाले के खिलाफ कोतवाली नगर में मुकदमा भी 31 जनवरी को एक छात्रा की तहरीर पर पंजीकृत किया गया है।
बीते बुधवार को जब गनपत सहाय के पीजी कॉलेज के छात्र-छात्राओं ने जिलाधिकारी कार्यालय पर प्रदर्शन अपनी बात मीडिया के सामने रखी जिसपर मीडिया ने इस खबर को प्रमुखता से छापा उसका असर यह रहा कि जैसे ही जानकारी मिली प्रबंध तंत्र के कान खड़े हो गए और आनन-फानन में बड़े आकाओ को बचाने के लिए बृहस्पतिवार को शायद निलंबन की कार्यवाही करने की बात कह कर पल्ला झाड़ते नज़र आये। वही जब प्रबंध तंत्र से बात की गई तो उनका मानना है कि 167 छात्र-छात्राओं के प्रवेश पत्र के लिए प्रिंसिपल और प्रबंध तंत्र द्वारा अवध विश्वविद्यालय से प्रयास किया जा रहा है
अब सबसे बड़ा सवाल या यह कहे कि इन सारे पहलुओं पर अगर नजर दौड़ाई जाए तो विद्यालय प्रबंध तंत्र पर सवाल खड़ा होना लाज़िमी है
पहला सवाल यह उठता है कि जब विद्यालय प्रबंध तंत्र को 31 जनवरी को यह पता चल चुका था कि छात्र-छात्राओं के साथ धोखाधड़ी करने वाला आरोपी गनपत सहाय पीजी कॉलेज में कार्यरत जितेंद्र शुक्ला है तो प्रबंध तंत्र ने अब तक जीतेद्र शुक्ला के खिलाफ कार्यवाही क्यों नहीं किया
सवाल नम्बर दूसरा कि जब मीडिया ने इस खबर को प्रमुखता से छापा तो बृहस्पतिवार को प्रबंध तंत्र निलंबन की कार्यवाही करने की बात के साथ अवध विश्वविद्यालय से छूटे हुए छात्रों के प्रवेश पत्र के लिए प्रयास करने की बात कही
सवाल तीसरा की इससे पहले प्रबन्ध तंत्र क्या कर रहा था,क्या इस घटना का इंतजार कर रहा था।
अब सवाल चौथा उठाना लाज़मी हैं कि अगर प्रबंध तंत्र का प्रयास सार्थक नहीं हुआ तो छात्र छात्राओं के भविष्य का जिम्मेदार कौन होगा? सवाल यह भी उठता है कि प्रबंध तंत्र ने आरोपी जितेंद्र शुक्ला के खिलाफ निलंबन की कार्यवाही तो कर इतिश्री कर लिया है लेकिन प्रबंध तंत्र ने जीतेंद्र शुक्ला के खिलाफ कोतवाली नगर में प्राथमिकी क्यों नहीं दर्ज कराई ।
इन सारे सवालों पर पड़ताल किया गया तो जवाब खुद-ब-खुद सामने दिखाई देने लगा बताया जाता है कि यह वही व्यक्ति है जो सन 2011 में अखबारों की सुर्खियों में छाए थे सूत्र तो या भी बताते हैं कि इनका गनपत सहाय में अपना एक वर्चस्व है जिसके चलते प्रबंध तंत्र इन के खिलाफ कार्यवाही करने कतराता है लेकिन इससे भी बड़ा सवाल की प्रबंध तंत्र इनपर कार्यवाही से कतराए तो जिन छात्र छात्राओं का भविष्य खराब हो रहा है उनका जिम्मेदार कौन? क्या इस संस्था में गुटबंदी का ही असर बना रहेगी या इसपर पर संस्था की तरफ से कठोर कार्यवाही होगी कि इस तरह की फिर पुनरावृत्त ना हो और संस्था का नाम ना खराब हो या फिर जो बाहर खाने में चर्चा बनी है वही सच है"निलंबित तो है प्रबंधन तंत्र का बहाना, कुछ चीजों को हैं छुपाना'?
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